हैँ तेरे रूप कई है खुली ये आँख जबसे, देखे तेरे रूप कई जिंदगी थी अँधेरों से भरी, तू सुनहरी धूप कोई कभी माँ बन कर है खिलाती, मेरे बिन कहे सब समझ जाती कभी बहन बनकर है रुलाती फिर पापा की डांट से भी बचाती कभी साथी बन कर जीना है सिखाती जीवन मे सफलता की ओर ले जाती साथ देती हर कदम पर बनके जीवन भर की साथी जिंदगी खुशियों से भरती, बनके दिया की सी बाती सब घर तूने है संभाले,भर दिए उनमें उजाले सबको अपना प्यार देती, बनके सबकी प्यारी सी बेटी .......Shivam Dhyani